CIBIL Score सिबिल रिपोर्ट क्या है:-
CIBIL Score [सिबिल का पूरा नाम क्रेडिट इनफार्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड है]. यह भारत की पहली क्रेडिट कंपनी और क्रेडिट ब्यूरो है आज कल हर किसी व्यक्ति को नयी नयी चीजें खरीदने का शौंक होता हैं। जिसके लिए वह कई बार बैंक से लोन भी ले लेता हैं। बैंक भी किसी भी व्यक्ति को लोन देने से पहले उस व्यक्ति के बारे में जनता हैं यानि के उसके डाक्यूमेंट्स चेक करता हैं। वह सभी चेक करने के बाद बैंक वालों को वह व्यक्ति सही लगता हैं
तो बैंक तब ही किसी को लोन देता हैं। तो दोस्तों उन सभी दस्तावेजों के साथ साथ बैंक आपकी एक और चीज जंचता हैं वो हैं आपका सिबिल स्कोर। सिबिल स्कोर जांचने के बाद आपकी सिबिल रिपोर्ट तैयार होती हैं। यह सभी कार्य सिबिल के द्वारा किये जाते हैं।


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सिबिल के मालिक कोन है ?
सिबिल की इक्विटी भारतीय स्टेट बैंक, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड, डन और ब्रैड स्ट्रीट इनफार्मेशन सर्विस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ट्रांस यूनियन इंटरनेशनल आईएनसी द्वारा साझे तौर पर संचालित थी. इन सभी के शेयर होल्डिंग का अनुपात 40: 40: 10: 10 के अनुसार था. इस समय के शेयर होल्डिंग अनुपात बदल गये हैं, क्योंकि इसमें इस समय कई अन्य बैंक शामिल हो गए हैं.
CIBIL Score कैसे काम करता है | How does CIBIL Score work?
जैसा की हमने आपको बताया की CIBIL को भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा 2005 के क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज़ (रेगुलेशन) एक्ट के तहत शाषित किया गया हैं। सिबिल बहुत से बैंकों और फाइनेंसियल संसथान और कंपनियों के लिए बहुत से कार्य करती हैं जैसे की – क्रेडिट रिपोर्ट तैयार करना,क्रेडिट स्कोर बनाना,क्रेडिट रैंक देना आदि। यह सब चीजें किसी व्यक्ति के बहुत से कार्य आती है जैसे की जब व्यक्ति को जब लोन की आवश्यकता होती हैं तो उसके क्रेडिट स्कोर को देखकर व्यक्ति को लोन दिया जाता हैं।


CIBIL स्कोर क्या है | What is CIBIL Score?
सिबिल स्कोर एक प्रकार की संख्या होती हैं जो की यह दर्शाती है की कोई व्यक्ति लोन लेने के योग्य है या नहीं। यह संख्या 300 से लेकर 900 के बीच में होती हैं। इस संख्या को देहकर ही यह पता लगाया जा सकता हैं की किसी व्यक्ति को लोन देना चाहिए या नहीं।
यह संख्या बैंक के द्वारा चेक की जाती जब कोई व्यक्ति उनके पास लोन लेने के लिए जाता हैं तो वह यह ही चेक करते हैं कि उस व्यक्ति का सिबिल स्कोर क्या हैं अगर उसका सिबिल स्कोर 750 या फिर उससे अधिक है तो उस व्यक्ति को आसानी से लोन मिल जाता हैं।
अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर 750 से कम होता है तो उस व्यक्ति को लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पढता हैं। बहुत से बैंक उन व्यक्तियों को लोन देने के लिए इंकार कर देते हैं जिनका सिबिल स्कोर 750 से नीचे होता हैं।
सिबिल स्कोर सुधारने के तरीके | Ways to Improve CIBIL Score ?
आप निरंतर अपने क्रेडिट रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए अपने सिबिल स्कोर को बेहतर कर सकते है. इसके लिए नीचे दिए गये बातों पर ध्यान दें.
अपने स्कोर को बेहतर करने का आसान तरीक़ा ये है कि आप अपना क्रेडिट रिपोर्ट पाने के लिए सिबिल में अप्लाई करें. इस बात का ध्यान रखें कि इसके लिए आपको भुगतान करना पड़ सकता है. इसके बाद इसमें सभी तरह के रिपोर्टिंग की अच्छे से जानकारी लें कि किसी तरह की त्रुटी न हो. यदि किसी तरह की त्रुटी पायी गयी तो, आप आसानी से ब्यूरो को इसे ठीक करने के लिए जमा दे सकते हैं.


अपने क्रेडिट कार्ड का खर्च इसकी सीमा से 50% तक ही रखें. इससे आपके क्रेडिट युटीलाईजेशन रेश्यो को कम किया जा सकता है, जो कि आपके क्रेडिट रिकॉर्ड को प्रभावित करने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जैसे यदि आपका क्रेडिट लिमिट 2 लाख का है, तो ध्यान रखें कि आपका एक महीने का खर्च 1 लाख से ऊपर न जाए. सदैव अपने क्रेडिट कार्ड बैलेंस को लो रखें. एक उच्च क्रेडिट लिमिट आपको पेमेंट करने की फ्लेक्सिबिलिटी तथा स्कोर करने में खूब मदद करता है.
यदि आपको स्कोर बनाने हैं तो किसी नए कार्ड के लिए न तो आवेदन दें और न ही जल्द किसी कार्ड को बंद करवाएं. एक नया कार्ड आपको एक उच्चतम क्रेडिट लिमिट दे सकता है, किन्तु यदि आप समय पर पेमेंट न कर सकें, तो आपके क्रेडिट स्कोर गिर जायेंगे. अतः जिस समय आप अपने स्कोर तैयार करने में लगे हुए हों, उस समय नए क्रेडिट कार्ड न लेना ही उत्तम होता है.
पेमेंट रिमांईडर की सहायता लें. इसकी सहायता से आप पेमेंट की आख़िरी तारिख जानने में सक्षम होंगे और अंतिम तारिख से पहले पेमेंट कर पायेंगे. समय पर पेमेंट न कर पाने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है. रीपेमेंट हिस्ट्री की सहयता से आप अपने क्रेडिट स्कोर से 30% तक आगे बढ़ सकते हैं
अतः ध्यान रखें कि आप समय पर पूरा पेमेंट कर पा रहे हैं, ताकि आपका स्कोर और बेहतर हो सके. आप इसके लिए डायरेक्ट बैंक अकाउंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसकी सहायता से समय पर पेमेंट हो सके.