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Karwa Chauth 2022: कब है करवा चौथ? क्या है पूजा विधि और कथा?
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(Karwa Chauth 2022) 2022 में कब है करवा चौथ? 

परिवार की सुख-समृद्धि, संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से महिलाएं 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को करवा चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत रखेंगी। करवा चतुर्थी की रात्रि में वृषभ राशि का चंद्रमा अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में रहेगा। इससे पति-पत्नी में आपसी प्रेम में वृद्धि होगी। चंद्रोदय रात्रि में 8 बजकर 28 मिनट पर होगा। यह समय उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार है। अन्य जगहों के लिए स्थानीय सूर्योदय के अनुसार चंद्रोदय के समय में कुछ मिनटों का अंतर आ सकता है।

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करवा चौथ 2022 तिथि 13 अक्टूबर

करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 13 अक्टूबर  01:59 पूर्वाहन से 14 अक्टूबर  03:08 पूर्वाहन

करवा चौथ उपवास का समय – सुबह 06:27 बजे से शाम 08:07 बजे तक

करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त: चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 13 अक्टूबर को 01:59 AM से होगा और इसकी समाप्ति 14 अक्टूबर को 03:08 AM पर होगी। करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को रखा जाएगा। करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 05:54 PM से 07:09 PM तक रहेगा। करवा चौथ व्रत समय 06:20 AM से 08:09 PM तक रहेगा। करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय समय रात 08:09 PM का है।

Karwa Chauth 2022: कब है करवा चौथ? क्या है पूजा विधि और कथा?
Karwa Chauth 2022:

Karwa Chauth 2022 Vrat Katha: करवा चौथ के दिन यदि आप इस व्रत की संपूर्ण कथा का पाठ करती हैं तो जीवन में हमेशा सौभाग्य बना रहता है।

हिंदू धर्म में करवा चौथ के पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे दिन निर्जला उपवास करके पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो स्त्री श्रद्धा पूर्वक व्रत और उपवास करती है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ पति को दीर्घायु का वरदान भी मिलता है।

दिनभर निर्जला व्रत करने के बाद रात में चंद्रमा के दर्शन के पश्चात ही जल और अन्न ग्रहण करने का विधान है। करवा चौथ के दिन पूजन के कई नियमों में से एक इसकी कथा का पाठ करना भी है।

मान्यता है कि जो भी स्त्री इस व्रत की कथा का पाठ करती है उसे सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस संपूर्ण कथा के बारे में।

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करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth 2022)
एक समय की बात है एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री अपने भाइयों की इकलौती बहन थी इस वजह से उसे सभी भाई बहुत प्रेम करते थे। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी समेत उसकी सातों बहुओं और पुत्री ने भी करवा चौथ का व्रत रखा।

रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन का आग्रह किया। इस बात पर बहन ने कहा कि भैया आज करवा चौथ का व्रत उसने भी रखा है और चंद्रमा के दर्शन के पश्चात ही कुछ खा सकती है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही वो अन्न और जल ग्रहण कर सकती है।

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। अपनी बहन का ये हाल देखकर उन्हें ऐसा विचार आया कि यदि चंद्रमा जल्दी ही निकल आए तो उनकी बहन व्रत का पारण कर सकती है। इस वजह से साहूकार के बेटे नगर के बाहर गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है। अब तुम अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण कर सकती हो।

2022 में कब है करवा चौथ(Karwa Chauth 2022) : परिवार की सुख-समृद्धि, संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से महिलाएं 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को करवा चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत रखेंगी। करवा चतुर्थी की रात्रि में वृषभ राशि का चंद्रमा अपने सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में रहेगा। इससे पति-पत्नी में आपसी प्रेम में वृद्धि होगी। चंद्रोदय रात्रि में 8 बजकर 28 मिनट पर होगा। यह समय उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार है। अन्य जगहों के लिए स्थानीय सूर्योदय के अनुसार चंद्रोदय के समय में कुछ मिनटों का अंतर आ सकता है।

karwa chauth vrat katha: साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से भी चंद्रमा के दर्शन (चंद्रमा से प्रार्थना कैसे करें) करके व्रत खोलने को कहा, लेकिन उनकी भाभियों ने इस बात से मना कर दिया और बताया कि अभी चांद नहीं निकला है बल्कि उनके भाइयों ने प्रेम वश और बहन को भूख से व्याकुल देखकर ही नकली चांद दिखा दिया है।

बहन ने भाभियों की बात को अनसुना कर दिया और अपने भाइयों की बात मानकर भाइयों द्वारा दिखाए गए नकली चांद को अर्घ्य देकर अन्न जल ग्रहण कर लिया। इस प्रकार बहन का करवा चौथ का व्रत भंग होने की वजह से भगवान श्री गणेश साहूकार की बेटी पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति जल्दी ही बीमार हो गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में व्यय हो गया।

साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने विधि से पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना उपवास पूरा किया और वहां उपस्थित सभी लोगों का आशीर्वाद ग्रहण किया।

साहूकार की निश्छल भक्ति और श्रद्धा को देखकर भगवान गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान दिया। साथ ही, उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।

Karwa Chauth 2022: कब है करवा चौथ?
Karwa Chauth 2022

करवा चौथ व्रत कथा का महत्व (Importance of Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)
ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब पूजा के साथ इस कथा का पाठ किया जाता है। जो स्त्रियां करवा चौथ के दिन पूजन के साथ इस कथा का पाठ करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं करवा माता उनके पति को दीर्घायु देती हैं और साहूकार की बेटी की ही तरह उनके पति पर भी सदैव भगवान गणपति की कृपा बनी रहती है।

करवा चौथ के दिन इस व्रत का एक कैलेंडर सामने रखकर करवा माता का ध्यान करते हुए यदि स्त्रियां इस कथा का पाठ करती हैं और दूसरों को भी कथा सुनाती हैं तो उनका सौभाग्य अखण्ड बना रहता है।

करवा चौथ की ये कथा आपके जीवन में सुख समृद्धि का वरदान और वैवाहिक जीवन में खुशियां प्रदान करेगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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By Nishant